मेंथा (Mentha)

मेंथा क्या है?

  • मेंथा को आमतौर पर पुदीना (Mint) कहा जाता है।
  • इसका वैज्ञानिक नाम Mentha arvensis है।
  • यह एक सुगंधित औषधीय पौधा है।
  • इसकी पत्तियों और टहनियों से मेंथॉल (Menthol Oil) और पुदीना तेल निकाला जाता है।
  • भारत में उत्तर प्रदेश (विशेषकर तराई क्षेत्र) में इसकी सबसे ज्यादा खेती होती है।

मेंथा का उपयोग (Uses of Mentha)

औषधीय उपयोग
  • पाचन शक्ति सुधारता है।
  • गैस, उल्टी, अपच, सिर दर्द में राहत।
  • दांत दर्द और बदबू दूर करने में।
खाद्य उद्योग
  • टूथपेस्ट, च्युइंग गम, कैंडी, आइसक्रीम, चॉकलेट में स्वाद और खुशबू के लिए।
  • पुदीना चटनी, जूस और ड्रिंक में।
औद्योगिक उपयोग
  • Menthol Oil → दवा, परफ्यूम, कॉस्मेटिक, बाल्म, अगरबत्ती, साबुन, शैम्पू।
  • Mentha Crystals → ठंडक देने वाले उत्पादों में।

मेंथा की खेती (Cultivation of Mentha)

जलवायु (Climate)
  • ठंडी और समशीतोष्ण जलवायु उपयुक्त।
  • तापमान 20°C–35°C।
  • गर्मियों और बरसात में अच्छी पैदावार।
मिट्टी (Soil)
  • दोमट और बलुई दोमट मिट्टी अच्छी रहती है।
  • pH 6–7.5 आदर्श।
  • नमी वाली जमीन पसंद करता है।

बुवाई का समय (Planting Time)

  • जनवरी–फरवरी (सर्दियों के अंत में)।

रोपण विधि (Planting Method)

  • बीज से नहीं बल्कि कलम (suckers/runners) से लगाते हैं।
  • कतार से कतार दूरी: 45–60 सेमी
  • पौधे से पौधे की दूरी: 30–40 सेमी

खाद और सिंचाई (Fertilizer & Irrigation)

  • गोबर की खाद 10–12 टन/हेक्टेयर।
  • NPK 100:60:40 / हेक्टेयर।
  • 10–12 दिन के अंतराल पर सिंचाई।
  • अधिक नमी की जरूरत।

देखभाल

  • निराई-गुड़ाई नियमित करें।
  • खरपतवार पर नियंत्रण जरूरी।
  • पौधों की कटाई समय पर करें।

फसल की कटाई (Harvesting)

  • रोपाई के 100–120 दिन बाद पहली कटाई।
  • इसके बाद हर 60–70 दिन पर कटाई हो सकती है।
  • पौधों को काटकर डिस्टिलेशन यूनिट में तेल निकाला जाता है।

उत्पादन (Yield)

  • हरी पत्तियाँ: 200–250 क्विंटल/हेक्टेयर।
  • तेल उत्पादन: 120–150 किलो/हेक्टेयर।

मेंथा के फायदे (Benefits)

स्वास्थ्य लाभ
  • पाचन और भूख बढ़ाता है।
  • एंटीबैक्टीरियल और एंटी-इंफ्लेमेटरी गुण।
  • शरीर को ठंडक देता है।
  • सिरदर्द और थकान कम करता है।
किसानों के लिए फायदे
  • कम समय में फसल (3–4 महीने)।
  • एक ही खेत से साल में 2–3 बार कटाई।
  • मेंथा तेल की अंतरराष्ट्रीय बाजार में बड़ी मांग।
  • दवा, कॉस्मेटिक और खाद्य उद्योग में हमेशा डिमांड।

मुनाफा (Profitability)

लागत
  • ₹40,000–50,000 प्रति हेक्टेयर।
आमदनी
  • 120–150 किलो तेल/हेक्टेयर।
  • मेंथा तेल की कीमत ₹1,000–1,500 प्रति किलो।
  • कुल आमदनी: ₹1.2–2.0 लाख प्रति हेक्टेयर।
शुद्ध मुनाफा
  • ₹70,000–1.2 लाख प्रति हेक्टेयर (सिर्फ 4 महीने में)।

👉 साल में 2 बार फसल → ₹2–2.5 लाख/हेक्टेयर तक मुनाफा।

सावधानियाँ (Precautions)

  • जलभराव से बचाएँ।
  • खरपतवार समय पर हटाएँ।
  • डिस्टिलेशन के लिए तेल निकालने की व्यवस्था पहले से कर लें।

 

                         मेंथा की खेती में देखभाल (Care & Management)

सिंचाई (Irrigation)

  • मेंथा को नमी पसंद होती है।
  • पहली सिंचाई → रोपाई के तुरंत बाद।
  • उसके बाद हर 10–12 दिन पर हल्की सिंचाई
  • जलभराव से बचाएँ, वरना जड़ें सड़ सकती हैं।

खरपतवार नियंत्रण (Weed Management)

  • खरपतवार (घास-फूस) मेंथा से ज्यादा पोषण खींच लेती है।
  • पहली निराई-गुड़ाई → रोपाई के 20–25 दिन बाद।
  • फिर 2–3 बार और करें।
  • मल्चिंग (खेत ढकना) से भी खरपतवार कम उगते हैं और नमी बनी रहती है।

खाद और पोषण (Fertilizer Management)

  • गोबर की खाद/कम्पोस्ट → 8–10 टन प्रति हेक्टेयर।
  • रासायनिक खाद (प्रति हेक्टेयर)
    • नाइट्रोजन: 100 किलो
    • फॉस्फोरस: 60 किलो
    • पोटाश: 40 किलो
  • नाइट्रोजन को 2–3 बार में डालें ताकि उत्पादन बढ़े।

रोग और कीट नियंत्रण (Pests & Diseases Management)

आम रोग
  • पत्ती झुलसा (Leaf blight): पत्तियाँ पीली होकर सूख जाती हैं।
    👉 नियंत्रण: कॉपर ऑक्सीक्लोराइड का छिड़काव करें।
  • जड़ गलन (Root rot): जड़ें सड़ने लगती हैं, पौधे मुरझा जाते हैं।
    👉 नियंत्रण: जलभराव न होने दें, नीमखली/ट्राइकोडर्मा डालें।
आम कीट
  • एफिड्स (Aphids): पत्तियों का रस चूसते हैं।
    👉 नियंत्रण: नीम तेल का छिड़काव करें।
  • थ्रिप्स: पत्तियाँ सिकुड़ जाती हैं।
    👉 नियंत्रण: जैविक दवा का छिड़काव।

कटाई की देखभाल (Harvesting Care)

  • पहली कटाई → रोपाई के 100–120 दिन बाद।
  • कटाई पौधे से 6–7 सेमी ऊपर से करें (जड़ सुरक्षित रहेगी)।
  • हर 60–70 दिन पर अगली कटाई हो सकती है।

तेल निकालने से पहले तैयारी

  • कटाई के तुरंत बाद पौधों को छाया में हल्का सुखाएँ।
  • फिर डिस्टिलेशन यूनिट में डालकर तेल निकालें।
  • तेल को स्टील/काँच के कंटेनर में ही रखें।

खास सुझाव (Special Tips)

  • खेत में हमेशा हल्की नमी बनाए रखें।
  • खरपतवार और जलभराव मेंथा की पैदावार कम कर देते हैं।
  • समय पर कटाई करने से तेल की क्वालिटी और मात्रा दोनों बेहतर मिलती हैं।

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