अश्वगंधा क्या है?
- अश्वगंधा एक औषधीय पौधा है, जिसे Indian Ginseng या Winter Cherry भी कहते हैं।
- इसका वैज्ञानिक नाम Withania somnifera है।
- मुख्यत: इसकी जड़ें औषधीय उपयोग में आती हैं।
- आयुर्वेद में इसे “रसायन” (टॉनिक) माना गया है।
अश्वगंधा के फायदे (Benefits of Ashwagandha)
✅ शारीरिक और मानसिक स्वास्थ्य में लाभकारी
- थकान और तनाव कम करता है।
- रोग प्रतिरोधक क्षमता बढ़ाता है।
- नींद की समस्या और चिंता में सहायक।
✅ औषधीय गुण
- डायबिटीज, गठिया और हड्डियों की कमजोरी में लाभ।
- कमजोरी, यौन रोग और बांझपन में उपयोगी।
- हृदय और रक्तचाप संतुलित करने में सहायक।
✅ अन्य फायदे
- एंटीऑक्सीडेंट, एंटीबैक्टीरियल और एंटी-इंफ्लेमेटरी गुण।
- बुढ़ापा धीमा करता है और शरीर को ऊर्जा देता है।
अश्वगंधा का उपयोग (Uses of Ashwagandha)
- पाउडर: दूध या पानी के साथ सेवन।
- काढ़ा/चूर्ण: इम्युनिटी और ऊर्जा बढ़ाने में।
- कैप्सूल और टैबलेट: हर्बल दवा के रूप में।
- तेल: मालिश और आयुर्वेदिक उपचार में।
- फार्मा और आयुर्वेद उद्योग: दवाइयाँ, टॉनिक और सप्लीमेंट बनाने में।
अश्वगंधा की खेती (Cultivation of Ashwagandha)
जलवायु (Climate)
- सूखी और अर्ध-शुष्क जलवायु उपयुक्त।
- 20°C–35°C तापमान में अच्छी पैदावार।
- ज्यादा ठंड और बरसात नुकसानदायक।
मिट्टी (Soil)
- बलुई दोमट और लाल दोमट मिट्टी उपयुक्त।
- pH 7.5–8 आदर्श।
- हल्की और जलनिकासी वाली जमीन बेहतर।
बुवाई का समय (Sowing Time)
- जून–जुलाई (बरसात की शुरुआत)।
बीज दर (Seed Rate)
- 10–12 किलो बीज / हेक्टेयर।
बुवाई विधि (Sowing Method)
- कतार से कतार दूरी: 30 सेमी
- पौधे से पौधे की दूरी: 20 सेमी
- बीज 1–2 सेमी गहराई पर बोएँ।
खाद और सिंचाई (Fertilizer & Irrigation)
- गोबर की खाद: 8–10 टन/हेक्टेयर।
- अधिक खाद की जरूरत नहीं।
- फसल सूखा सहनशील है – सिर्फ 2–3 हल्की सिंचाई काफी।
देखभाल
- 1–2 बार निराई-गुड़ाई।
- रोग और कीट बहुत कम लगते हैं।
फसल की कटाई (Harvesting)
- बुवाई के 150–180 दिन बाद (लगभग 5–6 महीने)।
- जब पौधे पीले होकर सूखने लगें तब।
- पूरी फसल जड़ समेत खोदकर निकाली जाती है।
- जड़ों को धोकर धूप में सुखाते हैं।
उत्पादन (Yield)
- जड़ें: 400–500 किलो/हेक्टेयर
- बीज: 50–70 किलो/हेक्टेयर
किसानों के लिए फायदे (Farmer Benefits)
- फसल सूखा सहनशील है – ज्यादा सिंचाई या देखभाल की जरूरत नहीं।
- कम लागत वाली फसल – रासायनिक खाद और दवा कम लगती है।
- औषधीय बाजार में हमेशा डिमांड रहती है।
- लंबे समय तक जड़ें खराब नहीं होतीं → भंडारण आसान।
मुनाफा (Profitability)
लागत
- ₹25,000–35,000 प्रति हेक्टेयर।
आमदनी
- जड़ें: ₹150–200/किलो → लगभग ₹70,000–1,00,000/हेक्टेयर।
- बीज: ₹400–500/किलो → लगभग ₹20,000–30,000/हेक्टेयर।
शुद्ध मुनाफा
- लगभग ₹60,000–80,000 प्रति हेक्टेयर (6 महीने में)।
👉 यानी साल में दो बार उगाने पर ₹1.2–1.5 लाख/हेक्टेयर तक मुनाफा।
निष्कर्ष
अश्वगंधा खेती किसानों के लिए कम लागत और ज्यादा मुनाफा देने वाली फसल है।
यह औषधीय और आयुर्वेदिक उद्योग की हाई डिमांड वाली जड़ी-बूटी है।
सिर्फ 5–6 महीने में फसल तैयार होकर अच्छा मुनाफा देती है।